ना जाने क्यूँ तेरा मिल कर जुदा होना बहुत दर्द
देता है,
मैं तुम्हारे होठों की हँसी से अपना घर सजाता
हुँ,
तुम्हारे आँचल की ममता में अपना आँसू छुपाता हुँ l
ना जाने क्यूँ तेरा मिल कर जुदा होना बहुत दर्द
देता है...
तुम्हारे पैरों को चुम कर मैं अपना सौभाग्य
सजाता हुँ,
जब तुम रहती हो मेरे पास,
तो तेरे होने की खुशी में अपना गम भूल जात हुँ l
ना जाने क्यूँ तेरा मिल कर जुदा होना बहुत दर्द देता है...
ऐ माँ; तू मेरे साथ रह, मेरी रूह बनके,
तेरे होने से मैं खुद को बाग्यवान समझता हुँ l
ना जाने क्यूँ तेरा मिल कर जुदा होना बहुत दर्द
देता है...
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