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एक बार तुम्हें देखने से मेरे दिल को सुकून नहीं मिलता, कमबख्त; मेरा दिल कहता; तुम्हें अपने जीवन का आईना बना कर, हर पल तुम्हें ही देखता रहुँ I-आशीष कमल

Asheesh Kamal
                     

 प्रिय मित्रों,
शब्दों की इस मंच पर आपका स्वागत हैI
सभी मनुष्य के ह्र्दय में शब्दों का भंडार होता है, कितु वो उन शब्दों  को मस्तिषक में एकत्रित नहीं कर पाते जिससे उनके होठों से वाक्य की वर्षा हो सकेहम उतने बड़े कवि या लेखक नहीं हैं, मैंने अपने शब्दों को ह्र्दय से निकाल कर आपके  समक्ष प्रस्तुत किया है, उम्मीद है; आपको पसंद आयेगागलतीयाँ मुझसे हो सकती है, कृपया उपयुक्त सुझाव देने का कष्ट करेंगेl
                      मेरी कविता और कहानियां समाज में घटती घटनाओं के आस-पास पर उद्धत है, प्रत्येक लेखक या कवि जब रचनाओं का निर्माण करता है तो उसमें जिवंतता लाने हेतू शब्दों को सारगर्भित अर्थ लाने के लिए डाला जाता है , इसलिए कृपया कविता और कहानी को लेखक की जीवनी समझना बेमानी होगी 
              मुझे पूरा विश्वास है कि जब आप मेरे इस ब्लॉग को ध्यान से पढेंगे तो निश्चित रूप से आपके चेहरे पर मुस्कान, आँखो में अश्रुधारा और आपके गालों के मध्य डिम्पल बनेगीl
                                                                                        आपका शुभचिंतक 
                                         आशीष कमल  श्रीवास्तव (आशीष कमल) 
                                        E-Mail: asheesh_kamal@yahoo.in
खुश हो जाता हुँ मैं रात के उस पहर में, जब ह्र्दय के उपवन में तुम्हारी खुशबु आती है I

Asheesh Kamal


3 comments:

  1. बेहद ख़ूबसूरत ब्लॉग. रचनाएं भावो और समवेदनाओं की झडी लगा रही हैं. लाज़वाब अभिवक्ति.
    सादर

    ReplyDelete
  2. Sir good evening
    I hv completed 2yrs mlisc
    Am i aligible for kvs?

    ReplyDelete
  3. Sir good evening
    I hv completed 2yrs mlisc
    Am i aligible for kvs?

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