जिनके सपने टूट जाते हैं उन्हें नींद नहीं आती,
रातों को करवटे बदलते रहते हैं सुबह की तलाश में,
लेकिन ऐ मुसाफिर;
अगर तू थक जायेगा इन हालातों में,
इन छोटी-छोटी बातों में,
तो क्या ये तुम्हारा सफल होगा जीवन ?
मनुष्य जीवन में ऐसा ही होता है I
जिसने भी लिया है जनम उन्हें हर बार टूट के
जुड़ना होता है I
तू उन्हें देख जिन्होंने मनुष्य में है जन्म
लिया?
अपने रब अपने खुदा अपने राम अपने बुद्धा I
इनको तो देखो, वक्त ने उनके भी सपने तोड़ डाले थे,
क्या वो थक गये? क्या वे टूट गये?
नहींII
कर दिये थे अपने सारे सपनों को सच I
और आज II
कोई उन्हें पैगम्बर तो कोई पुरोषोत्त्म कहता है II
No comments:
Post a Comment