हमें तो अकेले जीने की आदत सी हो गयी है,
अपने उम्मीदों को दबाने की आदत सी हो गयी है I
कुछ नहीं है मेरे पास खोने के लिए,
जिंदगी मेरी कोरे कागज सी हो गयी है I
वो जो रहते हैं उपरवाले की दुनिया में,
उनसे कुछ गिला नहीं मुझे,
शायद; मेरे ईबादत में कुछ कमी सी हो गयी है I
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Asheesh Kamal |
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