जिसने आँचल की छाँव दी थी मुझे गमों के धुप में,
वो मन्नत माँगती है अब मुझे दुख के ज्वाला में
जलने का,
जो मेरी आँखों में पानी की बुँद देख रो पड़ती थी,
कामना है उसे अब मेरी आँखों से आँसू की धारा
बहने का II
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