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Thursday, May 14, 2015

अब उन्हें सर आँखों पर, बिठाने को जी चाहता है…

उनके बनाये आशीयाने में, अपना घर बनाने को जी चाहता है,
आज फिर उनके रूह में, उतर जाने को जी चाहता है I

कुछ नहीं मेरी जिंदगी साँसो के बिना,
आज फिर उन्हें साँसे, बनाने को जी चाहता है I

मेरी धड़कने रूठ गयी है हमसे,
आज फिर उनके दिल की धड़कन बन, धड़कने को जी चाहता है I

मेरी आखों में आ गयी आँसू जुदाई के,
अब उनको अपनी होठों की मुस्कान बना, मुस्कुराने को जी चाहता हैI

कुछ नहीं महफुज मेरा उनके बिना,
अब उन्हें सर आँखों पर, बिठाने को जी चाहता है I
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